आदमी मुसाफिर है , आता है , जाता है , आते जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है |
किस प्रकार से जीवन की सच्च्चाई को , इस गीत के द्वारा फ़िल्मी परदे पर प्रस्तुत
किया गया है |
सच मानो तो आदमी मुसाफिर ही है , जन्म से लेकर मृत्यु तक |
आदमी पैदा कही होता है , परवरिश कही पाता है , और उसका अंत कही और होता है ,
लेकिन इन सबके बीच अपनी अच्छी बुरी यादें छोड़ जाता है , याने की उसके अच्छे बुरे
कर्म , पाप पुण्य की यादें वोह अपनों के बीच और समाज में छोड़ जाता है |
